A Journey of Infinite Dream's...
जूतों के फीते खुले हुवे थे और पैदल चलने से कुछ धूल भी उसके जूतों पर चढ़ गई थी।
लेकिन कुछ सपनें थे। जो उसकी आँखों मे चमक रहे थे।
✍🏻 By : आर. के. कश्यप
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