Wednesday, 2 August 2017

जब सन्नाटे का शोर हो

जब सन्नाटे का शोर हो,
जब ख़ामोशी पे ख़यालो का ज़ोर हो,
जब चाँद एक टक ताकता हो।
जब  जुगनू अंधेरा बाँटते हो,
रातो की नींद सेहली हो,
वादों की एक पहेली हो।
                                                        
तुम्हारे झुमकों की चमक सितारों पे हो,
जबां की बाते नज़रों के इशारों से हो,
तुम्हारा हर जवाब,बस हाँ मे हो।

जब नमी आँख के कोरों से गालो पे लुडकती हो,
जब हर धड़कन के साथ साँसे अटकती हो,
मोहोब्बत मे वफ़ाओं का कसूर हो।

जब हर दुआ उस के दीदार की हो,
जब नफ़रत उसी यार से हो।
जब जीत मे भी सुकून ना हो,
जब हार भी मंज़ूर ना हो।

ग़ुलाम हुईं है साँसे और धड़कन भी गुलाम है।
मेरी रूह की मालिक है वो, उसका हस्र मेरे नाम है।

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